कांग्रेस के मंथन से क्या वाकई ऐसा अमृत निकल पाएगा जो कमजोर हो रही पार्टी की जड़ों में नई जान फूंक दे। इस वक्त प्रदेश कांग्रेस ऐसे दो-राहे पर खड़ी नजर आती है जहां या तो उसे पुराने नेताओं को तवज्जो देनी है या फिर नई लीडरशिप को आगे बढ़ने देना है। इस मौके पर कांग्रेस को वो तराजू बनना है जो दो अलग अलग उम्र के नेताओं में संतुलन बना सके। क्षत्रपों को उनके हिस्से की ताकत देकर कांग्रेस एक तबके को तो साध सकती है पर दूसरे को कैसे। अब देखना होगा अपनी पूर्व कैबीनेट के साथ बैठक में कमलनाथ ऐसा क्या कमाल करते हैं।